इस पंक्ति का आशय स्पष्ट करो।

रहे समक्ष हिम शिखर,
तुम्हारा प्रण उठे निखर,
भले ही जाए तन बिखर,
रुको नहीं,
झुको नहीं,
बढ़े चलो,
बढ़े चलो।